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उत्तराखंड की राजनीति के ध्रुव तारा: तीरथ सिंह रावत का निर्णायक ‘अल्पकाल’ और भविष्य की मजबूत दावेदारी

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देहरादून। उत्तराखंड की राजनीति में तीरथ सिंह रावत का नाम हमेशा एक ऐसे जुझारू और संवेदनशील नेता के रूप में दर्ज रहेगा, जिन्होंने कठिन परिस्थितियों में राज्य की बागडोर संभाली और विपरीत लहरों के बावजूद जनहित को सर्वोपरि रखा। उनका कार्यकाल भले ही अल्पकालिक रहा, परंतु उनके द्वारा लिए गए निर्णय आज भी राज्य के भविष्य को आकार दे रहे हैं।

यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी कि तीरथ सिंह रावत ने अपने छोटे से कार्यकाल में जो प्रशासनिक नींव रखी, वह उनकी राजनीतिक कुशलता और जन-सरोकारों के प्रति उनकी गहरी समझ को दर्शाती है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह अनुभवी नेता भविष्य में भी राज्य की राजनीति में एक मजबूत दावेदार बनकर उभर सकते हैं।

संकटमोचक की भूमिका: चुनौतियों के बीच मिली जिम्मेदारी

वर्ष 2021 में, जब दुनिया कोविड-19 महामारी की भीषण चुनौती से जूझ रही थी, उसी समय उत्तराखंड की कमान तीरथ सिंह रावत को सौंपी गई। यह कालखंड राज्य के लिए आर्थिक, सामाजिक और स्वास्थ्य संकट का दौर था। ऐसे में, उन्होंने मुख्यमंत्री के रूप में जिस साहस और संवेदनशीलता का प्रदर्शन किया, वह जनता के लिए संकटमोचक साबित हुआ। उन्होंने घबराहट की जगह त्वरित और निर्णायक एक्शन पर भरोसा जताया।

युवाओं को समर्पित: 22,340 पदों का ऐतिहासिक सृजन

तीरथ सिंह रावत के शासन की सबसे बड़ी और दूरगामी उपलब्धि थी 22,340 नए पदों का सृजन। यह निर्णय उत्तराखंड के लाखों युवाओं के लिए एक वरदान सिद्ध हुआ।

  • रिकॉर्ड तोड़ पहल: शिक्षा, स्वास्थ्य, पुलिस और प्रशासनिक क्षेत्रों में इतनी बड़ी संख्या में पदों का एक साथ गठन करना राज्य के इतिहास में एक अभूतपूर्व कदम था।
  • रोजगार की राह: यह पहल न सिर्फ तत्कालीन बेरोजगारी को कम करने के लिए महत्वपूर्ण थी, बल्कि इसका उद्देश्य प्रशासनिक मशीनरी को भविष्य की चुनौतियों के लिए सशक्त बनाना भी था।
  • विरासत को आगे बढ़ाना: वर्तमान मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी इस पहल को तेजी से आगे बढ़ा रहे हैं, जिससे हजारों परिवारों को स्थायी सरकारी रोजगार का लाभ मिल रहा है। यह निर्णय उनकी युवा-केंद्रित सोच को प्रदर्शित करता है।

आर्थिक संबल: ₹2000 करोड़ का कोविड राहत पैकेज

महामारी के कारण आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को सीधा सहारा देने के लिए तीरथ सिंह रावत सरकार ने ₹2000 करोड़ का व्यापक कोविड राहत पैकेज घोषित किया।

  • सीधी राहत: इस पैकेज ने मजदूरों, किसानों, छोटे व्यापारियों और पर्यटन उद्योग से जुड़े लोगों को सीधी आर्थिक सहायता पहुँचाई, जिससे संकटग्रस्त परिवारों को जीवनयापन में बड़ी मदद मिली।
  • संवेदनशीलता: यह निर्णय दर्शाता है कि उनका नेतृत्व केवल प्रशासनिक सुधारों तक सीमित नहीं था, बल्कि उसमें समाज के सबसे निचले तबके के दर्द को समझने और उसे दूर करने की गहरी संवेदनशीलता थी।

वात्सल्य योजना: अनाथ बच्चों का भविष्य संवारने का प्रयास

प्रो. रावत ने अपने कार्यकाल में ‘वात्सल्य योजना’ के रूप में एक मानवीय और स्थायी पहल की शुरुआत की। यह योजना उन बच्चों के लिए शुरू की गई, जिन्होंने कोविड महामारी में अपने माता-पिता दोनों को खो दिया था।

  • संरक्षण की गारंटी: इस योजना के तहत बच्चों की शिक्षा, स्वास्थ्य और उज्ज्वल भविष्य की पूरी जिम्मेदारी राज्य सरकार ने ली। यह पहल उनकी सरकार के जन-कल्याणकारी दृष्टिकोण का शिखर थी, जिसने सैकड़ों बच्चों के जीवन में नई आशा का संचार किया।

सरल छवि, मजबूत आधार और भविष्य की संभावनाएँ

राजनीतिक पंडित मानते हैं कि तीरथ सिंह रावत का संक्षिप्त कार्यकाल उनकी प्रशासनिक सादगी, संवेदनशीलता और जनहित में त्वरित निर्णय लेने की क्षमता के लिए याद किया जाएगा। उनके द्वारा रखी गई नींव (विशेषकर रोजगार सृजन में) पर वर्तमान सरकार मजबूती से खड़ी है।

राजनीति में अक्सर कहा जाता है कि कभी-कभी पीछे हटना भी एक रणनीति होती है। तीरथ सिंह रावत की विनम्रता और पार्टी के प्रति उनकी निष्ठा ने उन्हें भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व का हमेशा विश्वासपात्र बनाए रखा है। उनके पास वर्षों का राजनीतिक अनुभव, एक स्वच्छ छवि और प्रशासनिक दक्षता का सिद्ध ट्रैक रिकॉर्ड है।

यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी कि तीरथ सिंह रावत की राजनीतिक यात्रा अभी खत्म नहीं हुई है। उनकी निर्णायक क्षमता और जन-सरोकार की गहरी समझ उन्हें भविष्य में उत्तराखंड की राजनीति में फिर से एक बड़ी और महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए तैयार करती है। उनका अल्पकालिक कार्यकाल उनकी शक्ति का अंत नहीं, बल्कि उनकी सामर्थ्य का प्रमाण था।

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