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डोनाल्ड ट्रंप की सनसनीखेज वापसी: क्या अमेरिका फिर से बगराम एयरबेस पर कब्जा करेगा?

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एक रणनीतिक ठिकाना जो चीन को हिला देगा. यह एयरबेस सिर्फ एक हवाई अड्डा नहीं है, बल्कि यह मध्य एशिया में अमेरिका की शक्ति का प्रतीक है। बगराम की भौगोलिक स्थिति इसे बेहद खास बनाती है, क्योंकि यह ईरान, मध्य एशिया और चीन के शिनजियांग प्रांत के करीब है। चीन के तेजी से बढ़ते परमाणु हथियार भंडार और मिसाइल सुविधाओं पर निगरानी रखने के लिए यह एक आदर्श जगह है। ट्रंप के अनुसार, यह ठिकाना चीन की परमाणु सुविधाओं से केवल एक घंटे की दूरी पर है, जो इसे खुफिया और सैन्य अभियानों के लिए सबसे अहम बनाता है।

अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में बगराम एयरबेस को दोबारा अमेरिकी नियंत्रण में लेने की इच्छा जताई है। उन्होंने इस एयरबेस को अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए बेहद अहम बताया है। ट्रंप का मानना है कि यह ठिकाना पश्चिमी चीन के करीब है, जहां चीन अपने परमाणु हथियार कार्यक्रम को चला रहा है।
ट्रंप ने कहा कि वे इस एयरबेस को वापस लेने की कोशिश कर रहे हैं। उनके अनुसार, यह बेस चीन की परमाणु हथियार सुविधाओं से केवल एक घंटे की दूरी पर है, जिससे इसकी सामरिक महत्ता और भी बढ़ जाती है।

पिछली गलती को सुधारने की होड़

ट्रंप ने बाइडेन सरकार द्वारा बगराम एयरबेस को खाली करने को एक बड़ी गलती बताया है। उनके अनुसार, अरबों डॉलर का सैन्य सामान वहाँ छोड़ दिया गया था, जिससे अमेरिकी सेना कमजोर हुई। अब ट्रंप इस गलती को सुधारकर एक बार फिर एशिया में अपनी पकड़ मजबूत करना चाहते हैं। उनकी यह कोशिश चीन और भारत जैसे उभरते देशों पर दबाव बनाए रखने और क्षेत्र में अमेरिकी हितों को सुरक्षित रखने से जुड़ी है।

ट्रंप के इरादे और अफगानिस्तान की मुश्किल

क्या ट्रंप तालिबान से यह बेस वापस ले पाएंगे? तालिबान ने उनकी अपील को ठुकरा दिया है, लेकिन अमेरिका ने अभी भी हार नहीं मानी है। यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या अमेरिका इस क्षेत्र में अपनी वापसी के लिए कूटनीतिक या अन्य तरीके अपनाता है। ट्रंप की यह चाल न सिर्फ अमेरिका के भविष्य बल्कि अफगानिस्तान के भी भविष्य पर गहरा असर डालेगी।

ट्रंप के बयानों का सार

डोनाल्ड ट्रंप ने अफगानिस्तान से बाइडेन सरकार की वापसी को एक बड़ी गलती करार दिया था। उनका आरोप है कि अमेरिका ने बगराम में अरबों डॉलर का सैन्य सामान छोड़ दिया। वह कहते हैं कि इस बेस को खाली नहीं किया जाना चाहिए था, बल्कि वहां सीमित संख्या में अमेरिकी सैनिकों को तैनात रखना संभव था। ट्रंप के मुताबिक, बगराम एक बहुत ही महत्वपूर्ण रणनीतिक ठिकाना था। यह काबुल से लगभग 40 किलोमीटर उत्तर में स्थित है और इसे 1950 के दशक में सोवियत संघ ने बनाया था। बाद में यह मध्य और दक्षिण एशिया में अमेरिका का सबसे बड़ा सैन्य केंद्र बन गया। यहां दो बड़े रनवे हैं, जिन पर दुनिया के सबसे बड़े विमान भी उतर सकते हैं।

बगराम का रणनीतिक महत्व

विशेषज्ञों के अनुसार, बगराम की स्थिति इसे और भी महत्वपूर्ण बनाती है क्योंकि यह ईरान, मध्य एशिया और चीन के शिनजियांग प्रांत के करीब है। यह खुफिया अभियानों के लिए एक आदर्श जगह है। पेंटागन की रिपोर्ट बताती है कि चीन 2030 तक अपने परमाणु हथियारों की संख्या 1,000 तक बढ़ा सकता है। चीन की कई महत्वपूर्ण परमाणु और मिसाइल सुविधाएं शिनजियांग में ही हैं, जिसमें लोप नूर परीक्षण केंद्र भी शामिल है।

9/11 हमलों के बाद करीब 20 साल तक बगराम एयरबेस अमेरिकी सैन्य अभियानों का केंद्र रहा। 1 जुलाई 2021 को अमेरिकी सेना ने अचानक रातों-रात इसे खाली कर दिया, जिसकी जानकारी अफगान सहयोगियों को भी नहीं दी गई थी। इसके तुरंत बाद लूटपाट शुरू हो गई। कुछ हफ्तों बाद, तालिबान ने काबुल पर कब्जा कर लिया और इस एयरबेस पर नियंत्रण कर लिया।

अमेरिका ने क्यों छोड़ा था एयरबेस?

9/11 हमलों के बाद करीब 20 साल तक बगराम एयरबेस अमेरिकी सैन्य अभियानों का केंद्र रहा। 1 जुलाई 2021 को अमेरिकी सेना ने अचानक रातों-रात इसे खाली कर दिया, जिसकी जानकारी अफगान सहयोगियों को भी नहीं दी गई थी। इसके तुरंत बाद लूटपाट शुरू हो गई। कुछ हफ्तों बाद, तालिबान ने काबुल पर कब्जा कर लिया और इस एयरबेस पर नियंत्रण कर लिया।

अमेरिका की क्या है मंशा?

अमेरिका की मंशा के पीछे कई कारण हैं:

  • मध्य एशिया में सैन्य मौजूदगी: वर्तमान में अमेरिका की मध्य एशिया में कोई बड़ी सैन्य मौजूदगी नहीं है।
  • चीन पर दबाव: चीन एक महाशक्ति के रूप में उभर रहा है, और बगराम से अमेरिका चीन पर दबाव बना सकता है।
  • भारत पर दबाव: भारत के भी अमेरिका के दबाव में न आने के बाद, ट्रंप प्रशासन को एक ऐसे ठिकाने की जरूरत महसूस हो रही है जिससे वह भारत और चीन दोनों पर दबाव बनाए रख सके।
  • खनिज संसाधन: ट्रंप और उनके सलाहकार यह भी मानते हैं कि यह एयरबेस न केवल सुरक्षा लाभ देगा बल्कि अफगानिस्तान के मूल्यवान खनिज संसाधनों तक पहुंच भी सुनिश्चित करेगा।
क्या ट्रंप सफल होंगे?

तालिबान ने पहले ही डोनाल्ड ट्रंप की बगराम एयरबेस को दोबारा देने की अपील को ठुकरा दिया है। हालांकि, अमेरिका ने तालिबान को मान्यता देने और आर्थिक सहायता प्रदान करने के बदले इस पर फिर से बातचीत करने की कोशिश की है। इसके अलावा, अमेरिका ने पाकिस्तान के साथ भी अपने संबंधों को फिर से मजबूत करने की कोशिश की है ताकि क्षेत्र में उसे एक रणनीतिक ठिकाना मिल सके।

क्या आपको लगता है कि अमेरिका को इस क्षेत्र में अपनी सैन्य उपस्थिति बनाए रखनी चाहिए? 🤔

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